Thursday, November 5, 2009

आईना से दुरी ख़त्म

हमे कसौली जाना था तो इस बीच हम दोनों एक दुसरे को बुलाने लगे थे । पर अफ़सोस आईना कसौली नही जा पाई। हम सभी ने आईना जी को बहुत याद किया । काहा जाता है के कसौली की फिजा तो दुश्मन को भी दोस्त बना देती है, पर कसौली ने आपना जादू तो मालौट ही दिखा दिया ।

Monday, September 28, 2009

अब यह दुरी कभी खत्म नही होगी

आईना और मेरे में अब इतनी दुरी आ गई थी के अब यह खत्म नही हो सकती थी । मैं भी यह ही कोशिश कर रहा हु के आईना काण्ड को भूल जाऊ । मुझे मालुम है के इस तरह के काण्ड भूलना किसी के लिए आसान नही होता ,पर भुलाना भी जरूरी होता है क्युकी इस तरेह के काण्ड किसी युवा के लिए घातक हो सकते है। मैं प्राथना करुना के भगवान् आईना को भी यह काण्ड भुलाने की शक्ति दे । मुझे तो यह भी मालुम नही था के आख़िर मेरी काहा पर गलती थी । आईना ने भी दुसरो पर भरोसा जताया मुझे तो कुछ कहने का मोका भी नही दिया । मुझे यह अफ़सोस नही था के लोगो ने आईना को भड़काया , मुझे तो यह अफ़सोस था के आईना ने उन बातो को सच भी मान लिया था । क्यों जमाना हमसे जीत गया क्यों आईना हमसे टूट गया, मेरा दिल गम के घेरे में है जिन्दगी अब दूर तक अंधेरे में है,

Thursday, September 17, 2009

सीनियर आपनी जिम्मेवारी नही निभा सके

मुझे बहुत दुःख हुआ जब आईना और मेरे में लडाई हुई तो किसी भी स्टुडेंट ने आईना और मेरे में सुला करवाने की कोशिश नही की कुछ लोग तो इसे भी थे जो आग में घी डाल रहे थे मुझे बहुत दुःख हुआ जब किसी ने भी कोशिश नही की । आख़िर हर कोई यह को नही चाहता था के आईना और मैं एक आछे दोस्त बन कर रहे । हर बात का उल्टा मतलब निकाला जा रहा । आईना को भाढ़काया जा रहा था । आईना हर बात को सच समझ रही थी । पेपर नजदीक थे पर आईना काण्ड के कारण पडा नही जा रहा । अब तो परमात्मा ही जाने के क्या होगा

Wednesday, September 16, 2009

जतिन के पिता जी का निधन

आज मेरे एक दोस्त ने बताया के जतिन के पिता जी का निधन हो गया था यह सुन कर मुझे काफ़ी अफ़सोस हुआ । इंसान भी कितना बेबस होता है जो भगवान् की मर्ज़ी के आगे कुछ नही कर पाता। मेरे पिता जी कह रहे थे के उनको क्रिकेट मैच देखने का बहुत शोंक था पर वोह आपनी जिन्दगी का मैच इस कदर हारेंगे यह कभी नही सोचा था । भगवन उनकी आत्मा को शान्ति दे और जतिन और नितिन को जिन्दगी में आगे बड़ने के मोके दे।

Monday, September 14, 2009

आईना गलत्फेमी का शिकार

आज जो हुआ वोह मेरे और आईना के लिए काफ़ी भेयानक था । आज आईना फ़िर मुझसे गुस्से हो गई थी। कुछ हद्द तक गलती मेरी भी थी पर उनकी सहेलियों ने आग में घी ढालने का जो काम किया उस से आईना गलत्फेमी का शिकार हो गई जिस से तिन साल बाद हमारी बनने लगी थी वोह आज गलत्फेमी की और मेरी मुर्खता की वजह से टूटने के करीब आ गई थी । अब क्या होगा यह तो वक्त और आईना ही जानते थे

Thursday, September 10, 2009

कुलदीप से दुरी ख़त्म होने के असार

कल कुलदीप का फ़ोन आया था और उसने काफ़ी बातें की ,ज्यादा हमने बीते समये की बात की जिस से मन भारी हो गया था । क्युकी हम दोनों को ही लगता था के वोह हसीन पल कभी भी वापस नही आयेंगे । मेरे साथ बिताया हुआ हर एक पल उसको याद था । मैं तो समजता था के अब यह दुरी ख़त्म नही होगी पर कुलदीप के फोन ने एक आशा की किरण जगा थी । मैं भी चाहता हु के हमारे में जो दुरी पैदा हो गई थी वोह जल्द मिट जाए

मंगत और मेरे में कोई मतभेद नही

हमारे परिवार और लोगो का माना गलत है के मेरे और मंगत में अनबन है । मुझे नही लगता के हमारे रिश्ते में खटास आई है । जे बात सही थी के अब हम कम मिलते थे और मैं मंगत का मजाक उडाने लग गया था । जो मंगत को कम पसंद था क्युकी मंगत को मजाक करना पसंद है पर जब उसका कोई मजाक उडाता है तो वोह सहन नही कर पाता । पहले मंगत चंडीगढ़ रहता था इस लिए जब भी मिलते थे तो सिर्फ़ जरूरी विशे पर ही बात करते थे इस लिए लोगो को लगता था के हमारी बहुत बनती है। अब मंगत मलोट आ गया था तो किसी-२ बात पर मजाक उड़ा लेते थे और मंगत को गुस्सा आ जाता था । तो लोगो को लगता है के मेरे और मंगत में अनबन हो गई है। वेसे भी मंगत मुझसे काफ़ी बड़े है वोह मेरे पिता के समान है इस लिए उनके साथ तो मतभेद का सवाल ही नही पैदा होता । लोगो को लगता होगा पर मुझे नही लगता और मैं उम्मीद करता हु के मंगत को भी एसा नही लगता होगा

Saturday, September 5, 2009

ताया जी और लोगो

लोगो का मानना गलत था की मेरे ताया जी ने मेरे पापा को लुधिअना ले जाने में देरी की । उनकी कुछ मजबूरिया थी जिस के कारण वोह पापा को लुधियाना नही ली जा सके । क्युकी हमारे परिवार की एक परम्परा रही है के जो भी आपना ईलाज कराने के लिए मलोट से बाहर गया है वोह जिन्दा वापस नही आया था इस लिए मेरे ताया जी मेरे पापा को बहार नही जाना चाहते थे । लोगो का तो काम ही बातें बनाने का है जिस तरह हमारे दुःख में हमारे परिवार ने हमारी मदद की वोह काबीले तारीफ़ थी ।

आईना और आईना

आज टीचर डे था तो काफी मजा किया , नरिंदर शर्मा के पास भी गए और आपनी इंग्लिश की क्लास को बहुत याद किया । आज हमारी क्लास को लगते हुए एक महीना हो गया था । एक महीने में आईना में इतना बदलाव देखा जो मैंने पिछले कई सालो में नही देखा । इतना आत्मविश्वाश और जोश कभी नही देखा । पहली बार हस्ते हुए देखा , लगता था के आईना ने जिंदगी को जीना ही अभी सिखा है । बहुत खुशी हुई । न जाने आईना में इतना बदलाव कैसे आ गया ? येह्दी हम पहले वाली आईना और अब वाली आईना में तुलना करे तो , मुझे लगता था के आईना पुरी ही बदल गई थी । मैं भगवान से प्राधना करुगा के वोह इस तरह ही मुस्कराती रहे ।

Friday, September 4, 2009

चांदनी,मैं और मन्दिर

दूसरी गुडिया हो जाने के बाद मैं मन्दिर जाना छोड़ना चाहता था क्युकि एक गुडिया हो जाने के कारण मेरी उम्मीदे टूट चुकी थी और दुसरा बिमारी के कारण मैं ख़ुद भी टूट चुका था। पर मैं ऐसा कर नही पाया क्युकि चांदनी ने मन्दिर जाना छोड़ दिया था येह्दी मैं इस समये मन्दिर जाना छोड़ देता तो लोग सोचते के मैंने इस लिए मन्दिर जाना छोड़ दिया क्युकि चांदनी नही आती । इस लिए मैंने मन्दिर जाना जारी रखा । यह बात सच थी के मैंने चांदनी के बाद ही मन्दिर जाना शुरू किया था पर खुदा गवाह मैंने कभी भी चांदनी को गलत निगाह से नही देखा था , वेसे भी वोह मुझसे काफ़ी बड़ी थी, पर लोगो को केसे सम्जाये। निराशा बहुत होती है जब कोई बेवजह शक करे।

Wednesday, September 2, 2009

कुलदीप से दुरी

मेरे बीमार होने पर सभी ने मेरा हालचाल पूछा ,जो मेरे से गुस्से और गफा थे उनोने ने मेरी मेरा हालचाल पूछा, पर कुलदीप जो मेरे बिना एक पल भी नही रहे सकता था उसका एक फोन भी ना करना काफ़ी दुख्दायिक था । मैंने हर समये उसका साथ दिया ,ऐसी बात नही थी के मैंने ही हर वक्त उनकी मदद की उनोने ने भी मेरी बहुत बार मदद की थी पर लगता था के आज वक्त ने उसको और मुझे इतनी दूर कर दिया था । बहुत ही मानसिक पीड़ा होती जब कोई ख़ास बेवजह दूर हो जाता है .शाइद उसको अब मेरी जरूरत ही नही रही थी ।

Tuesday, September 1, 2009

आईना का आईना

आईना ने आज साफ़ कह दिया था के मेरी बातो से उनको लगभग दो साल से दुःख पहुँच रहा था .यह जान कर मुझे बहुत अफ़सोस हुआ ,क्युकी हमारा मकसद कभी किसी का दिल दुखाना नही था । उसको एक-एक बात याद थी जो मैंने उके बारे में कही थी ,मुझे लग रहा था के बातें बताते बताते उनकी आखे भी भर आई थी । पर मुझे नही पता था के मेरी बातो से उनको इतना दुःख पहुँच रहा था । मैं तो सिर्फ़ अपने घर वालो को हसाने के लिए उनका मजाक उडाता था । आज आईना ने आपने मन का आईना (शीशा ) दिखाया था जिस में मेरी तस्वीर काफी भयानक थी । पता नही आईना कभी मुझे माफ़ कर पाएगी के नही ।

जतिन से मिलन

मैं एक दोस्त के जरिये जतिन सर से अचानक मिला था जब मैंने उनके पिता जी की हालत के बारे जाना तो मुझे बहुत अफ़सोस हुआ , मैं तो सोचता था के जतिन सर और मेरी कहानी एक सी है पर जतिन सर तो बहुत ही दुखो से गुजर रहे थे । हमने तो बहुत कुछ खोह कर बहुत कुछ पाया था। मैंने मन्दिर में जा कर उनके पिता जी के लिए दुआ की के जिस तहरे भगवान् ने हमारे पिता जी को सही किया उस तरहे उनको पिता जी को भी ठीक करे । पिता के बीमार होने का गम क्या होता है यह हमसे जायदा कौन जनता है

Sunday, August 30, 2009

गुडिया का जनम

गुडिया के जन्म पर मेरा रोना ,एस बात पर सभी ने मेरी आलोचना की ,लेकिन मुझे लड़की के होने का अफसोस नही था ,पर लड़का न होने का गम जरुर था । मैं सोचता था के येदि लड़का हो जाता तो पापा जल्दी ठीक हो जाते पर रब को तो कुछ और ही मंजूर था । बहुत ही दुःख होता है जब आपने ही आपनो को समझ नही पाते

Saturday, August 29, 2009

birthday

aaj mujhe malum tha k aaina mujhse gusse hai, aaina mujhse bolegi nahi aur yehdi boli to itna bolegi k mujhese suna nahi jayega. par birthday ne mujhe bacha liya